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कमजोर पाचन छोटी समस्या नहीं है

कमजोर पाचन छोटी समस्या नहीं है


एक बार जब हम राजस्थान जा रहे थे तब ट्रैन में हमारे सामने वाली सीट पर एक पति पत्नी सफर कर रहे थे उम्र होगी ५० से ऊपर और वजन थोड़ा ज्यादा था।  इसलिए उन्होंने नीचे वाली सीट बुक कर रखी थी। जैसे ही ८ बज गए उन्होंने खाने की तैयारी शुरू की ताकि ९ बजे वह अपना बिस्तर बना सके।  पत्नी खाने के डिब्बों को तलाश रही थी तब तक पति ने एक दवाइयों का डब्बा निकला और उसमे से एक गोली पत्नीको  दी और एक खुद खा ली। उसके बाद जब खाना खत्म हुआ तब उसी डब्बे से एक पाउडर निकली और एक कप पानी मिलाकर दोनों ने पीना शुरू कर दिया।  तब तक हमने हमने हमारा खाना शुरू कर दिया था और उसमे सलाद देखकर वह बोले अच्छा है आप लोग भी आहार नियोजन करते है।  उसके बाद हमारी बाते शुरू हुयी और उसमे पता चला के दोनों भी अपने स्वास्थ्य के लिए काफी जागरूक है।  उन्होंने बताया काफी किताबे पढ़ते है और यू ट्यूब पर भी वीडियो देखकर सरे टिप्स को अपने जीवन में इस्तेमाल करते है।  एक डॉक्टर होने के वजह से मुझे रहा नहीं गया और मैंने उनसे पूछ लिया ये पाउडर कौनसी है। उसपर उन्होंने काफी अभिमान से कहा के मुझे पता है के हमारा पाचन ही सभी बीमारियों का जड़ होता है और इसलिए हम उसका विशेष ख्याल रखते है।  जो गोली उन्होंने खायी वह एसिडिटी के लिए थी और ये पाउडर खाना पचने के साथ सुबह पेट साफ़ होने का काम करती है।  इसलिए हमारा पाचन एकदम सही चल रहा है।  
 
कुछ समय के लिए मुझे समझ नहीं आ रहा था के उनको ये किसने समझाया के दवाइयों पर निर्भर रहना स्वास्थ्य पूर्ण जीवन कहलाता है।  सिर्फ यही दोनों नहीं बल्कि मैंने हजारो लोगो को खुद अपनी दवाइया निर्धारित करते हुए देखा है और बीमारियों को दबाकर उनको लगता है वह बिलकुल स्वस्थ है।  एसिडिटी वाली पैन ४० , कैल्शियम वाली टेबलेट्स यहाँ तक की एंटी बायोटिक्स भी अपने मन से लेते हुए देखा है। भविष्य में होने वाली बड़ी बीमारियों के बारे में उन्हें कभी कोई नहीं बताता। 
 
हमारा पाचन तभी स्वस्थ होता है जब आपको सही समय पर भूक लगती है , गैस या एसिडिटी नहीं होती और सुबह पेट भी साफ़ हो जाता है।  इसमें से कोई भी लक्षण अगर सही नहीं हो तो आपको ट्रीटमेंट की जरुरत होती है।  यह दवाइया  सिर्फ हमारे शरीर को उसका कार्य याद दिलाने के लिए होता है नाकि जिंदगीभर लेने के लिए।  
 
आजकल अपचन को एकदम नजरअंदाज किया जाता है क्योंकि रोज नहीं होती है समस्या लेकिन एक बार शुरू हो जाएगी तो ये एक के बाद एक शारीरिक अंग को कमजोर करने लग जाती है।  कुछ पेशंट कहते हम तो बहोत कम खाना कहते है फिर भी वजन बढ़ रहा है और पेट भी साफ़ नहीं होता।  यहाँ पर हमारे आंतो का कार्य सुधरने की आवश्यकता होती लेकिन ज्यादातर लोग चूरन ले लेते है।  इससे मल अपने आप नीचे धकेल दिया जाता है और हमारी आंते अपना काम करना ही छोड़ देती है। 
इसलिए पाचन क्रिया सुधारने  के लिए दवा लेने की जरुरत है जैसे अमृतवेदा नीरझक्ट टेबलेट।  एक बार कार्यक्षमता सही हो जाती है तो  अपना पाचन प्राकृतिक तरीके से होने लगता है। अगर पेट साफ़ नहीं हो रहा है तो साथ में लेक्झी पावडर लेनी चाहिए १५ दिनों के लिए ताकि पुराना अपचित अन्न भी निकल जाये।  हॉस्पिटल में तो इतना डर  जाते है लोग और तरह तरह की रिपोर्ट्स कर लेते है।  एंडोस्कोपी जैसी दर्दनाक जांचभी करते है जिसमे समस्या तो कुछ भी  नहीं दिखाई देती लेकिन उस ट्यूब से संक्रमण हो जाता है। इसलिए जब लक्षण छोटा हो तभी उपचार कर लेने से आगे के दुष्परिणाम नहीं होते।  कई बार एसिडिटी की वजह से लोग चाय या पसंदीदा खाना छोड़ देते है लेकिन इससे समस्या हल नहीं होती। अतिरिक्त पित्त को कम करना होगा और इसलिए अमृतवेदा अँसिनिल टेबलेट असरदार साबित हो चुकी है। 
कमजोर पाचन को नजर अंदाज करने से बवासीर, कोलेस्ट्रॉल , लिवर समस्या , पित्ताशय पथरी , मोटापा जैसी कई बड़ी बीमारियों का सामना करना पड़ता है।  इसलिए सही समय पर आयुर्वेद का सहारा ले और अपने आप को दवा पर निर्भर होने से बचाइए।  अन्यथा आप की हालत उस पुराने विज्ञापन जैसे हो जाएगी जिसमे वह बूढ़ा आदमी कहता है "गोली खाकर जीता हु "।
डॉक्टर से मुफ्त सलाह पाने के लिए संपर्क करे - 9769110999 
कमजोर पाचन को नजर अंदाज करने से बवासीर, कोलेस्ट्रॉल , लिवर समस्या , पित्ताशय पथरी , मोटापा जैसी कई बड़ी बीमारियों का सामना करना पड़ता है।  इसलिए सही समय पर आयुर्वेद का सहारा ले और अपने आप को दवा पर निर्भर होने से बचाइए।  अन्यथा आप की हालत उस पुराने विज्ञापन जैसे हो जाएगी जिसमे वह बूढ़ा आदमी कहता है "गोली खाकर जीता हु "। डॉक्टर से मुफ्त सलाह पाने के लिए संपर्क करे - 9769110999 एक बार जब हम राजस्थान जा रहे थे तब ट्रैन में हमारे सामने वाली सीट पर एक पति पत्नी सफर कर रहे थे उम्र होगी ५० से ऊपर और वजन थोड़ा ज्यादा था।  इसलिए उन्होंने नीचे वाली सीट बुक कर रखी थी। जैसे ही ८ बज गए उन्होंने खाने की तैयारी शुरू की ताकि ९ बजे वह अपना बिस्तर बना सके।  पत्नी खाने के डिब्बों को तलाश रही थी तब तक पति ने एक दवाइयों का डब्बा निकला और उसमे से एक गोली पत्नीको  दी और एक खुद खा ली। उसके बाद जब खाना खत्म हुआ तब उसी डब्बे से एक पाउडर निकली और एक कप पानी मिलाकर दोनों ने पीना शुरू कर दिया।  तब तक हमने हमने हमारा खाना शुरू कर दिया था और उसमे सलाद देखकर वह बोले अच्छा है आप लोग भी आहार नियोजन करते है।  उसके बाद हमारी बाते शुरू हुयी और उसमे पता चला के दोनों भी अपने स्वास्थ्य के लिए काफी जागरूक है।  उन्होंने बताया काफी किताबे पढ़ते है और यू ट्यूब पर भी वीडियो देखकर सरे टिप्स को अपने जीवन में इस्तेमाल करते है।  एक डॉक्टर होने के वजह से मुझे रहा नहीं गया और मैंने उनसे पूछ लिया ये पाउडर कौनसी है। उसपर उन्होंने काफी अभ्मान से कहा के मुझे पता है के हमारा पाचन ही सभी बीमारियों का जड़ होता है और इसलिए हम उसका विशेष ख्याल रखते है।  जो गोली उन्होंने खायी वह एसिडिटी के लिए थी और ये पाउडर खाना पचने के साथ सुबह पेट साफ़ होने का काम करती है।  इसलिए हमारा पाचन एकदम सही चल रहा है।  
कुछ समय के लिए मुझे समझ नहीं आ रहा था के उनको ये किसने समझाया के दवाइयों पर निर्भर रहना स्वास्थ्य पूर्ण जीवन कहलाता है।  सिर्फ यही दोनों नहीं बल्कि मैंने हजारो लोगो को खुद अपनी दवाइया निर्धारित करते हुए देखा है और बीमारियों को दबाकर उनको लगता है वह बिलकुल स्वस्थ है।  एसिडिटी अली पैन ४० , कैल्शियम वाली टेबलेट्स यहाँ तक की एंटी बायोटिक्स भी अपने मन से लेते हुए देखा है। भविष्य में होने वाली बड़ी बीमारियों के बारे में उन्हें कभी कोई नहीं बताता।  
हमारा पाचन तभी स्वस्थ होता है जब आपको सही समय पर भूक लगती है , गैस या एसिडिटी नहीं होती और सुबह पेट भी साफ़ हो जाता है।  इसमें से कोई भी लक्षण अगर सही नहीं हो तो आपको ट्रीटमेंट की जरुरत होती है।  यह दवाइया  सिर्फ हमारे शरीर को उसका कार्य याद दिलाने के लिए होता है नाकि जिंदगीभर लेने के लिए।  
आजकल अपचन को एकदम नजरअंदाज किया जाता है क्योंकि रोज नहीं होती है समस्या लेकिन एक बार शुरू हो जाएगी तो ये एक के बाद एक शारीरिक अंग को कमजोर करने लग जाती है।  कुछ पेशंट कहते हम तो बहोत काम खाना कहते है फिर भी वजन बढ़ रहा है और पेट भी साफ़ नहीं होता।  यहाँ पर हमारे आंतो का कार्य सुधरने के आवश्यकता होती लेकिन ज्यादातर लोग चूरन ले लेते है।  इससे मल अपने आप नीचे धकेल दिया जाता है और हमारी आंते अपना काम करना ही छोड़ देती है।  इसलिए पाचन क्रिया सुधारने  के लिए दवा लेने की जरुरत है जैसे अमृतवेदा नीरझक्ट टेबलेट।  एक बार कार्यक्षमता सही हो जाती है अपना पाचन प्राकृतिक तरीके से होने लगता है। अगर पेट साफ़ नहीं हो रहा है तो साथ में लेक्झी पावडर लेनी चाहिए १५ दिनों के लिए ताकि पुराना अपचित अन्न भी निकल जाये।  हॉस्पिटल में तो इतना डर  जाते है लोग और तरह तरह की रिपोर्ट्स कर लेते है।  एंडोस्कोपी जैसी दर्दनाक जांचभी करते है जिसमे समस्या तो कुछ भी  नहीं दिखाई देती लेकिन उस ट्यूब से संक्रमण हो जाता है। इसलिए जब लक्षण छोटा हो तभी उपचार कर लेने से आगे के दुष्परिणाम नहीं होते।  कई बार एसिडिटी की वजह से लोग चाय या पसंदीदा खाना छोड़ देते है लेकिन इससे समस्या हल नहीं होती। अतिरिक्त पित्त को कम करना होगा और इसलिए अमृतवेदा अँसिनिल टेबलेट असरदार साबित हो चुकी है। 
कमजोर पाचन को नजर अंदाज करने से बवासीर, कोलेस्ट्रॉल , लिवर समस्या , पित्ताशय पथरी , मोटापा जैसी कई बड़ी बीमारियों का सामना करना पड़ता है।  इसलिए सही समय पर आयुर्वेद का सहारा ले और अपने आप को दवा पर निर्भर होने से बचाइए।  अन्यथा आप की हालत उस पुराने विज्ञापन जैसे हो जाएगी जिसमे वह बूढ़ा आदमी कहता है "गोली खाकर जीता हु "। डॉक्टर से मुफ्त सलाह पाने के लिए संपर्क करे - 9769110999 

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